P.V. Sindhu –

पी. वी. सिंधु का पूरा नाम पुसरला वेंकट सिंधु है. उनका जनम 5 जुलाई 1995 में हैदराबाद, भारत में हुआ था. वे अभी मात्र सिर्फ 21 साल की है. वो 8 साल की उम्र से ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था. उन्होंने सत. अन्न’स कॉलेज फॉर वोमेन से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की. उनके पिताजी का नाम पी. वी. रमन और माताजी का नाम पी. विजय हैं और वे दोनों ही वॉलीबॉल खेल के खिलाडी थे. उनके पिताजी श्री पी. वी. रमन को युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय, भारत सरकार और अर्जुन पुरुस्कार दिया जा चूका है जो की खेल के क्षेत्र में सबसे प्रतीक्षित पुरुस्कार हैं. हाला की उनके माता-पिता वॉलीबॉल प्लेयर्स थे. परन्तु वे बैडमिंटन से आकर्षित थी. वे पी. गोपीचंद से प्रभावित हो कर, जो की वर्त्तमान में उनके कोच हैं, बचपन में बैडमिंटन खेलना आरम्भ किया था और वे उनकी तरह भारत को अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करना चाहती थी.
एक भारतीय प्रोफेशनल बैडमिंटन खिलाडी है। 2016 के समर ओलंपिक्स में ओलंपिक्स सिल्वर मेडल जीतने वाली वह पहली महिला भारतीय बैडमिंटन खिलाडी बनी। जो ओलंपिक्स फाइनल तक पहुंची। और ओलंपिक्स के एकल में बैडमिंटन में सिल्वर जीतने वाली वह सबसे कम उम्र की खिलाडी है।
पी. व्ही. सिन्धु ने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति तब प्राप्त की जब उन्होंने सितम्बर 2012 में 17 साल की अल्पायु में ही टॉप 20 BWF वर्ल्ड रैंकिंग में जगह बनाई थी। 2013 मे बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप का मेडल जीतने वाली वह पहली महिला एकल खिलाडी बन चुकी थी। मार्च 2015 में वह भारत के चौथे सर्वोच्च पुरस्कार पद्म श्री को पाने वाली वह सबसे कम उम्र की भारतीय महिला बन गयी थी। जुलाई 2013 से सिन्धु भारत पेट्रोलियम में कार्यरत है। भारत पेट्रोलियम के हैदराबाद ऑफिस में वह असिस्टेंट मेनेजर के पद पर कार्यरत है। रिओ ओलिंपिक में सिल्वर मेडल जीतने के बाद उनका प्रमोशन कर उन्हें डिप्टी स्पोर्ट मेनेजर बनाया गया।
~~पी. व्ही. सिन्धु बचपन और प्रारंभिक प्रशिक्षण ~~~~
पुरसला वेंकटा सिन्धु का जन्म एक तेलगु परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम पी.वी. रमण और माता का नाम पी. विजया था – दोनों ही माजी वॉलीबॉल खिलाडी थे। 2000 में रमण को अपने खेल के लिये अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। जब सिन्धु के माता-पिता प्रोफेशनल वॉलीबॉल खेल रहे थे तभी सिन्धु ने बैडमिंटन खेलने का निर्णय लिया और अपनी सफलता की प्रेरणा सिन्धु ने 2001 में ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन में पुल्लेला गोपीचंद से ली। असल में सिन्धु ने 8 साल की उम्र से ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था।
पी. व्ही. सिन्धु PV Sindhu ने पहले महबूब अली के प्रशिक्षण में इस खेल की मुलभुत जानकारियाँ हासिल की और सिकंदराबाद के भारतीय रेल्वे के इंस्टिट्यूट में ही उन्होंने अपने प्रशिक्षण की शुरुवात की। इसके तुरंत बाद सिन्धु पुल्लेला गोपीचंद बैडमिंटन अकैडमी में शामिल हो गई। सिन्धु जब अपने करियर को बना रही थी तभी द हिन्दू के एक लेखक ने लिखा था की :
पी. व्ही. सिन्धु P V Sindhu के घर से उनके प्रशिक्षण लेने की जगह तक़रीबन 56 किलोमीटर दूर थी, लेकिन यह उनकी अपार इच्छा और जीतने की चाह ही थी जिसके लिये उन्होंने कठिन परिश्रम किया था। अपने कठिन परिश्रम की बदौलत ही आज वह एक सफल बैडमिंटन खिलाडी बन पाई।
गोपीचंद ने भी सिन्धु की तारीफ में कहा था की सिन्धु के खेल में उसकी सबसे अच्छी बात उसका रवैया है वह आखिरी दम तक अपने खेल को नही छोडती और हार नही मानती। गोपीचंद की बैडमिंटन अकैडमी में शामिल होने के बाद सिन्धु ने कई टाइटल्स जीते। अंडर-10 इयर केटेगरी में सिन्धु में पाँचवी सर्वो ऑल इंडिया रैंकिंग चैंपियनशिप युगल केटेगरी में जीती थी और एकल केटेगरी में अम्बुजा सीमेंट ऑल इंडिया रैंकिंग का टाइटल अर्जित किया था। अंडर-13 इयर केटेगरी में सिन्धु में पांडिचेरी की सब-जूनियर चैंपियनशिप में सिंगल का टाइटल अर्जित किया था। इसके साथ ही सिन्धु ने कृष्णा खेतान ऑल इंडिया टूर्नामेंट, IOC ऑल इंडिया रैंकिंग, सब-जूनियर नेशनल और पुणे में ऑल इंडिया रैंकिंग के कई टाइटल्स भी अर्जित किये है। भारत में सिन्धु ने 51 वे नेशनल स्कूल गेम्स में अंडर-14 केटेगरी में गोल्ड मेडल भी जीता था।
~~पी. व्ही. सिन्धु करियर~~
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सिन्धु ने 2009 में कोलंबो में सब-जूनियर एशियन बैडमिंटन चैंपियनशिप में ब्रोंज मेडल भी जीता था। 2010 ईरान फजर इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज में सिन्धु ने सिंगल केटेगरी में सिल्वर मेडल जीता। 2010 में मेक्सिको में जूनियर वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में सिन्धु क्वार्टरफाइनल तक पहुची थी। इसके साथ ही वह 2010 में उबेर कप की भारतीय नेशनल टीम की सदस्य भी थी।
~~रिओ ओलंपिक्स 2016~~
विमेंस सिंगल इवेंट में सिन्धु हंगेरियन लौरा सरोसी और कैनेडियन मिशेल ली के साथ ग्रुप मैच में नौवे स्थान पर काबिज रही। उन्होंने लौरा और मिशेल को क्रमशः 2-0 और 2-1 से अपसेट किया था। बाद में प्री-क्वार्टरफाइनल में सिन्धु ने तायपेई ताई तजु-यिंग को 2-0 से पराजित किया और फिर क्वार्टरफाइनल में उनका सामना वर्ल्ड नं. 2 चायनीज वांग ईहाँ से हुआ था जिसमे उन्होंने उसे 2-0 से पराजित किया था।
वांग ईहाँ से जीतने के बाद सेमीफाइनल में उनका मैच जापान की नोजोमी ओकुहरा से होना तय था, जिसमे सेमीफाइनल मैच में सिन्धु ने जबरदस्त खेल का प्रदर्शन करते हुए ओकुहरा को 0-2 से पराजित भी किया। इस तरह सिन्धु फाइनल तक पहुची और फाइनल में उनका मुकाबला वर्ल्ड नं. 1 खिलाडी से होना तय था और फाइनल में उनका मुकाबला स्पेनियार्ड कैरोलिना मरीन से होना तय हुआ। 83 मिनट तक चले उस मुकाबले में सिन्धु ने जबरदस्त खेल का प्रदर्शन किया लेकिन अंततः मरीन ने भी जबरदस्त वापसी करते हुए 2-1 से मुकाबले को अपने नाम किया। और सिन्धु को सिल्वर मेडल मिला। सिल्वर मेडल जीतते ही सिन्धु ने इतिहास रच दिया और ओलंपिक्स में भारत की तरफ से बैडमिंटन में सिल्वर मेडल जीतने वाली पहली महिला बनी।
~~अवार्ड और सम्मान~~
• पद्म श्री, भारत का चौथा सर्वश्रेष्ट अवार्ड। (2015)
• अर्जुन अवार्ड (2013)
• FICCI की तरफ से 2014 का स्पोर्ट पर्सन ऑफ़ दी इयर का सम्मान।
• 2014 में NDTV की तरफ से इंडियन ऑफ़ दी इयर का सम्मान।
• 2015 में मकाउ ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप में जीत हासिल करने के बाद बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की तरफ से 10 लाख का पुरस्कार।
• 2016 में मलेशिया मास्टर्स में जीत हासिल करने के बाद बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की तरफ से 5 लाख का पुरस्कार।
~~2016 रिओ ओलंपिक्स में सिल्वर मेडल मिलने के बाद दिये जाने वाले पुरस्कार~~
• तेलंगाना सरकार की तरफ से 5 करोड़ और जमीन पुरस्कार स्वरुप दी गयी।
• आंध्रप्रदेश सरकार की तरफ से 3 करोड़ की राशी, ग्रुप A कैडर जॉब और 1000 यार्ड जमीन पुरस्कार स्वरुप दी गयी।
• अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार द्वारा 2 करोड़ का पुरस्कार।
• भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन द्वारा 75 लाख की नगद राशी पुरस्कार स्वरुप दी गयी और साथ ही उनका प्रमोशन डिप्टी स्पोर्ट मेनेजर के पद पर किया गया।
• हरियाणा सरकार द्वारा 50 लाख की नगद राशी पुरस्कार स्वरुप दी गयी।
• मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 50 लाख की नगद राशी पुरस्कार स्वरुप दी गयी।
• मिनिस्ट्री ऑफ़ यूथ अफेयर्स एंड स्पोर्ट द्वारा 50 लाख की राशी पुरस्कार स्वरुप दी गयी।
• बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया द्वारा 50 लाख की राशी भेट स्वरुप दी गयी।
• NRI बिजनेसमैन मकट्टू सेबेस्टियन द्वारा 50 लाख की राशी भेट स्वरुप दी गयी।
• इंडियन ओलंपिक्स एसोसिएशन द्वारा 30 लाख की नगद राशी भेट स्वरुप दी गई।
• ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन द्वारा 5 लाख की राशी भेट स्वरुप दी गयी।
• हैदराबाद डिस्ट्रिक्ट बैडमिंटन एसोसिएशन द्वारा पुरस्कार स्वरुप एक BMW कार दी गई।
• सलमान खान द्वारा ओलंपिक्स में क्वालीफाई करने के लिये 1.01 की राशी भेट स्वरुप दी गई।
मैच के बाद सिंधु ने कहा कि “मुझे गर्व है कि मैं ओलंपिक में पदक जीत सकी। हां, स्वर्ण इससे काफी बेहतर होता, लेकिन मैं अच्छा खेली।” उन्होंने कहा कि शुरुआत में मैंने नहीं सोचा था कि मैं पदक जीत पाऊंगी, लेकिन जब मैं पदक की दौड़ में आयी तो मेरा लक्ष्य अच्छा खेलना था, जोकि मैंने किया। मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ खेल खेला। रिओ ओलंपिक्स में मेडल के लिये पुरे देश की उम्मीद को उन्होंने सिल्वर मेडल जीतकर पूरा किया। देश को हमेशा उनपर गर्व रहेंगा।
Please do not enter any spam link in the comment box